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मुँह के कैंसर में बड़ी आसानी से संभव है सेल्फ प्री कैंसर डिटेक्शन
शाहरुख खान और करीना कपूर सहित कई सेलिब्रिटीज की स्माइल डिज़ाइन करने वाले डॉ संदेश मायेकर ने प्री कैंसर डिटेक्शन पर अपनी रिसर्च साझा की
इंदौर। यदि आप पान, बीड़ी, तम्बाकू या जर्दा खाने के आदि है तो दूसरों के मुकाबले आपको मुँह का कैंसर होने की आशंका कही अधिक है इसलिए जरुरी है कि आप समय-समय पर खुद अपने मुँह की जाँच करते रहे। इसका तरीका बहुत आसान है।
जो लोग तम्बाकू-गुटका वैगेरह खाते हैं, वे उसे अपने मुँह में होठ या जीभ के नीचे दबाकर रखते हैं। बस आपको थोड़े-थोड़े दिन में यह देखते रहना है कि जिस स्थान पर आप ज्यादातर वक्त गुटका दबाकर रखते हैं वहां किसी तरह का सफ़ेद निशान या छाला तो नहीं है। यदि ऐसा है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाए और उसे ऑपरेशन के जरिए निकलवा लें।
जो लोग सिगरेट या बीड़ी पीते हैं, उन्हें इसी तरह की जाँच अपने तालु के आसपास करनी है। यदि वहां कोई डेग नजर आता है तो तुरंत डॉक्टर से मिलने की जरुरत है। ऐसा करके आप 90 प्रतिशत तक कैंसर की रोकथाम कर लेंगे।
इंडियन एकेडेमी ऑफ़ एस्थेटिक एंड कॉस्मेटिक डेन्टिस्ट्री द्वारा’डेमीस्टिफायिंग स्माइल्स’ विषय पर करवाई जा रही 28 वीं एनुअल कॉन्फ्रेंस 2019 के दौरान प्री कैंसर डिटेक्शन पर अपनी रिसर्च से प्राप्त जानकारी साझा करते हुए यह बात बॉलीवुड सेलिब्रिटीज की मुस्कराहट संवारने वाले ख्यात डेंटिस्ट डॉ संदेश मायेकर ने कही।
उन्होंने बताया कि इस तरह की कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हम प्री कैंसर डिटेक्शन के बारे में जागरूकता लाने का प्रयास कर रहे हैं। सेंट्रल इंडिया में पहली बार हो रही है इस इस तीन दिनी कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश के 32 स्पीकर और 250 से ज्यादा डेलीगेट्स हिस्सा ले रहे हैं। कॉन्फ्रेंस के पहले दिन सभी डेलीगेट्स को डेंटिस्ट्री की नई तकनीकों की हैंड्स ऑन ट्रेनिंग दी गई।
किसी स्टार का रेप्लिका मत बनिए अपनी स्माइल खूबसूरत बनाइए
डॉ संदेश मायेकर ने कहा कि बॉलीवुड के कई सेलेब्रटी मेरे पास आते हैं, जो स्मोक भी करते हैं, मैं उन्हें भी सेल्फ कैंसर डिटेक्शन करने की सलाह देता हूँ। शाहरुख़ सिगरेट छोड़ने की बात कह रहे हैं पर जो व्यसन सच में छोड़ना चाहते हैं वे एक दिन में इसे छोड़ देते हैं। जब तक आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तब तक कैंसर से बचने के लिए सेल्फ कैंसर डिटेक्शन करते रहे।
बॉलीवुड सेलिब्रिटीज में सैफ अली खान, रितेश देशमुख, राजकुमार राव, शाहरुख़ खान, आर माधवन और विद्या बालन अपनी हंसी के प्रति बेहद जागरूक है और दांतों की देखभाल के लिए समय-समय पर ट्रीटमेंट्स करवाते रहते हैं। ऋतिक रोशन की हंसी को मैंने पूरी तरह बदला है। जैकलीन फर्नांडिस जब विदेश से आई थी, उनके तब के चहरे और अभी के चेहरे में काफी अंतर है। उनकी खूबसूरती बढ़ने में डेंटल ट्रीटमेंट्स का महत्वपूर्ण योगदान है।
प्रियंका चोपड़ा के दांत आगे-पीछे थे पर वे उनकी खूबसूरती का अहम हिस्सा थे इसलिए उन्हें बिना ज्यादा छेड़े हमने उनकी मुस्कान को और खूबसूरत बनाया। लोग अक्सर हमारे पास इन्ही सेलिब्रिटीज जैसी मुस्कान पाने की चाहत लिए आते हैं पर उनके लिए मेरी सलाह यही है कि हम किसी का रेप्लिका नहीं बनाते। आप हमारे पास अपनी मुस्कान को बेहतर बनाने के लिए आए, किसी और की तरह बनने नहीं।
डेंटल ज्वेलरी और व्हाइटनिंग का ट्रेंड
डॉ मायेकर ने बताया कि इस समय मेट्रोज में डेंटल ज्वेलरी और व्हाइटनिंग का ट्रेंड चल रहा है। दांतों को खूबसूरत बनाने के लिए व्हाइटनिंग कराई जा रही है। दांतों में डायमंड लगवाया जा रहा है। यह सभी प्रक्रियाएं सुरक्षित और किफायती है।
कोई भी इन्हे करा सकता है। यदि आप अपनी मुस्कान को और खूबसूरत बनाना चाहते हैं तो अपनी पॉकेट मनी या शादी के लिए बचाये हुए पैसों से एक छोटा-सा हिस्सा निकाल कर भी ऐसा कर सकते हैं। इससे आपकी पर्सनालिटी बेहतर बनेगी, जिससे आपकी पर्सनल और प्रोफेशन लाइफ में फायदा होगा।
जबड़े में इम्बैलेंस के कारण भी हो सकता है गर्दन और कंधे में दर्द
डॉ रुम्पा विग ने कॉन्फ्रेंस में बताया कि अक्सर लोग जबड़े के इम्बैलेंस के कारण गर्दन, कंधे, पीठ और सर में होने वाले दर्द को माइग्रेन या स्लिप डिस्क समझ कर कई दिनों तक इन्ही बीमारियों का इलाज करवाते हुई परेशान होते हैं पर उनका दर्द कम नहीं होता। दांत जबड़े से जुड़े होते हैं और जबड़े शरीर के निचले हिस्से से इसलिए इस तरह का दर्द होने पर एक बार डेंटिस्ट को भी जरूर दिखाए।
सामान्यतः शरीर के इन हिस्सों में दर्द की शिकायत करने वाले 45 प्रतिशत लोग जबड़ों के इम्बैलेंस के कारण ही दर्द में होते हैं। इसी तरह दांतों के तीखेपन के कारण जीभ में घाव हो जाता है, जो आगे चलकर कैंसरकारक भी हो सकता है इसलिए यदि कोई दांत जीभ में चुभ रहा हो तो उसे नज़रअंदाज़ करने के बजाए डेंटिस्ट से उसे ठीक करा लें।
डॉ विग ने कॉन्फ्रेंस में आये डेलीगेट्स को खूब को अपग्रेड करके कम सिटिंग्स में इलाज पूरा करने के लिए कहा। उन्होंने दांत बनाने के एक नए बायोएक्टिव मटेरियल के बारे में भी बताया, जो दांत की तरह ही व्यवहार करता है और फेक्सिबल भी होता है। जबकि पुराने मटेरियल दांतों की तरह ना होकर ज्यादा कड़क होते थे, जिससे बने दन्त मरीज को परेशानी देते थे।
मुँह के अंदर एक दांत भी न हो तो अपाहिज़-सा लगता है
कॉन्फ्रेंस के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ स्वर्णजीत एस गंभीर ने कहा कि पिछले 17 साल इस शहर में प्रैक्टिस करते हुए मैंने डेंटिस्ट्री में बहुत परिवर्तन देखे है। पहले नए दांत लगाने की प्रक्रिया में 3 से 6 महीने लग जाते थे जबकि अब 72 घंटों में ही नकली दांतों को मुँह में सेट करना जरुरी है नहीं तो मरीज को परेशानी भी हो सकती है।
मुँह के अंदर एक दांत भी न हो तो अपाहिज़-सा लगता है। तकनीक की मदद से अब बिना दांत वाले व्यक्ति को 3दिन में दांत मिल जाते है। इंदौर में दांतों के ट्रीटमेंट और कॉस्मेटिक्स में बहुत स्कोप है। विदेशों में होने वाला हर नया इलाज अब इंदौर में संभव है। नई तकनीक ने दांतों के इलाज को बीपी और डाइबिटीज़ के मरीजों के लिए भी सामान्य व्यक्तियों की तरह ही सेफ बना दिया है।